गाजीपुर। आमजन की सुरक्षा में 24 घंटे तत्पर रहने वाले पुलिस विभाग में विगत कुछ वर्षों में हुए आत्महत्या के मामले को लेकर पुलिस लाइन सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिंदगी प्राथमिकता फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में पुलिस को चिंता व मानसिक तनाव के साथ-साथ काम के प्रेशर को कम करने के गुर बताये गए। कार्यशाला में पुलिस महकमे में छुट्टी न मिलने से बढ़ रहे मानसिक दबाव एवं आत्महत्या का मामला अहम रहा।
कार्यशाला में उपस्थित सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता ईशा यादव ने पुलिस को बताया कि तनाव को कैसे कम किया जा सकता है? उन्होंने बताया कि खासकर पुलिस फोर्स में तैनात जवानों के तनाव की सबसे बड़ी वजह छुट्टियां समय पर न मिलना हैं। इसके लिए डीजीपी उत्तर प्रदेश को प्रपोजल भेजा गया है, जिसमें सभी पुलिस से जुड़े लोगों को सप्ताह में कम से कम एक दिन की छुट्टी देने का प्रॉवधान है। नजदीक के पुलिस कर्मचारियों को रविवार को छुट्टी दी जाए। वहीं दूर के लोगों को महीने के सभी रविवार को जोड़कर एक बार छुट्टी दी जाए।
ईशा यादव की इस बात का वहां मौजूद आरक्षी और सिपाहियों ने तालियां बजाकर समर्थन किया। इस दौरान ईशा ने योग के माध्यम से तनाव से मुक्त रहने की भी बात पर जोर दिया। क्योंकि अवसाद से पुलिस के जवान भी खुद को नहीं बचा पा रहे हैं। शायद यही बड़ी वजह है कि आए दिन पुलिस महकमे में आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं। खासकर यह मामले पुलिस फोर्स और सेना तथा पैरामिलिट्री फोर्स में ज्यादातर देखने को मिल रहे हैं।
इस मामले में पुलिस अधीक्षक डॉ अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश द्वारा सभी पुलिस अधिकारियों को यह निर्देश दिए गए हैं कि वह अधिनस्थ कर्मचारियों के स्ट्रेस की पुष्टि करें। साथ ही उनकी राय के मुताबिक उनसे डिस्कस करने का प्रयास करें। उन्होंने बताया कि कार्यशाला के दौरान इसमें आरटीसी और सिविल पुलिस के जवानों ने भाग लिया। साथ ही खुलकर अपनी स्ट्रेस के कारण बताएं। उन्होंने कहा कि डी स्ट्रेस के लिए बराबर संवाद बनाए रखने की आवश्यकता है।
