वाराणसी। चाहे कोई भी पर्व या त्यौहार हो या फिर पंरपरा के निर्वहन की बात हो काशी में लोग उसे अपने अलग अंदाज में ही मनाते है। यही कारण है कि वाराणसी को विभिन्न संस्कृतियों के संगम वाला शहर भी कहा जाता है। मुहर्रम के बाद आयोजित किये जाने वाले ‘जुलूस-ए-ताबूत’ भी एक ऐसी ही परंपरा है,जिसे मुस्लिम समुदाय के लोग अपने-अपने तरीके से आयोजित करते हैं।
वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को इस बार 22 सितम्बर को आयोजित किया जायेगा। पराड़कर भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान डॉ. शफीक हैदर ने बताया कि अन्जुमन आबिदिया के तत्वावधान में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी ‘जुलूस-ए-ताबूत’ निकाला जायेगा। इसमें हजारों की संख्या में जायरीन शामिल होंगे और ताबूत को उठाएंगे।
उन्होंने बताया कि लाटसरैया स्थित इमाम बारगाह से यह ताबूत उठाया जायेगा और यह हर बार की तरह इस बार भी एक अलग और अनोखे अंदाज में होगा।
