रिपोर्ट- सौम्या
वाराणसी। 7 मार्च 2006 में बनारस सीरियल ब्लास्ट से दहल उठा था। आतंकियों ने कैंट स्टेशन के साथ ही संकटमोचन को अपना निशाना बनाया था। जहां कैंट स्टेशन पर लगातार दो धमाके हुए तो वहीं संकटमोचन मंदिर में उस वक़्त धमाका हुआ जब लोग वहां दर्शन के लिए पहुंचे थे। इन सीरियल धमाकों में 11 लोगों की जान चली गयी थी और करीब 70 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। आज इस हादसे को 14 साल पूरे हो गए हैं लेकिन आज भी उन लोगों के जख्म उस दिन को याद कर के हरे हो जाते हैं। इतने साल बीत जाने के बाद भी आजतक दोषियों को सजा नहीं हो सकी।
बता दें कि सात मार्च 2006 को हर दिन की तरह ही लोगों ने अपनी दिन की शुरआत की थी। किसी को भी इस बात का अनुमान नहीं था कि अगले कुछ घंटों में एक बड़ा हादसा लोगों के लिए काल बनकर उनका इंतज़ार कर रही होगी। लगभग तीन बजे के आसपास कैंट स्टेशन पर सिलसिलेवार दो ब्लास्ट होता है, जिसके बाद स्टेशन पर हड़कंप मच जाता है। लोग बाग अभी कुछ समझ पाते की तभी संकटमोचन मंदिर में भी धमाका हो जाता है। इन धमाकों से पूरा काशी मानों कुछ देर के लिए ठहर गया था। इस आतंकी हमले की खबर से काशीवासी अपने लोगों को लेकर जहां बेतहाशा भागते नजर आ रहे थे कि तभी ये खबर आती है कि गोदौलिया दूध सट्टी के पास कुकर बम बरामद हुआ है।फिर क्या था सब लोग सहम गए और अपने लोगों के हाल लेने में जुट जाते हैं।
संकटमोचन मंदिर धमाके में सात लोगों की मौत हुई थी जबकि कैंट रेलवे स्टेशन पर हुए ब्लास्ट में 11 लोगों की जान चली गयी थी। इन दोनों घटनाओं के बाद लखनऊ पुलिस ने इलाहाबाद के फूलपुर निवासी वलीउल्लाह को गिरफ्तार किया था। इसके बाद वाराणसी पुलिस उसे रिमांड पर लेकर कचहरी आयी थी, जहां कोर्ट में पेशी के दौरान वकीलों ने वलीउल्लाह का केस लड़ने से मना कर दिया। इतना ही नहीं आक्रोशित अधिवक्ताओं ने वलीउल्लाह को पीटने के लिए दौड़ा दिया था जिसके बाद संकटमोचन व कैंट स्टेशन विस्फोट धमाका गाजियाबाद कोर्ट ले जाया गया। जहां अब तक केस चल रहा है मगर आरोपी को अब तक सजा नहीं हुई। जिन्होंने अपनों को इन हादसों में खोया है वो अब भी बस आरोपियों को सजा मिलने का इंतज़ार ही कर रहे हैं लेकिन कोर्ट में बस तारीख पर तारीख दिए जा रहे हैं।
