वाराणसी। उत्तर प्रदेश में बिजली की दरों में हुई बढ़ोतरी को लेकर उपभोक्ता बेहद परेशान हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बिजली विभाग की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र का है, जहां पर एक निजी स्कूल को करीब 6 अरब रूपए का बिजली बिल विभाग के तरफ से भेजा गया है। बिजली के बिल को देखकर स्कूल के प्रबंधक बेहद हैरान हैं। प्रबंधक की मानें तो इसकी शिकायत बिजली विभाग से की गई है, लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
दरअसल वाराणसी के विनायका स्थित एक निजी स्कूल के प्रबंधक के पास करीब 6 अरब 18 करोड़ 51 लाख रुपए का बिजली बिल आया है। बिजली का बिल देखकर स्कूल प्रबंधक का सर चकरा गया। स्कूल प्रबंधक योगेंद्र मिश्रा की मानें तो उन्होंने पिछला सभी बिजली का बिल जमा कर दिया था, लेकिन उसके बाद इतना बिल आना ताज्जुब की बात है। योगेंद्र मिश्रा ने बताया कि इस बिजली बिल की शिकायत उन्होंने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंधक निदेशक के दफ्तर में किया था, लेकिन वहां पर उन्हें सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी की बात बता कर वापस भेज दिया गया। योगेंद्र मिश्रा बताते हैं कि बिजली के बिल को ठीक कराने के लिए वह पिछले कई दिनों से बिजली विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला। इस बिजली बिल को जमा न करने की स्थिति में कनेक्शन काटे जाने की तारीख 7 सितंबर की है और जैसे-जैसे तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे स्कूल प्रबंधक की चिंता बढ़ती जा रही है। उपभोक्ता को अब डर सता रहा है कि अगर 6 अरब रुपए का बिजली बिल नहीं चुकाया तो उनका कनेक्शन कट जाएगा ।
कैसे भरा जाएगा इतना बिल
अब उपभोक्ता हैरान और परेशान है कि इतनी बड़ी रकम कैसे भरी जाए। बिजली बिल को कम कराने को लेकर उपभोक्ता पिछले कई दिनों से बिजली विभाग के चक्कर लगा रहा है। विभाग की तरफ से उपभोक्ता को बिजली बिल सही करने का आश्वासन देकर लौटा दिया जा रहा है । ऐसे में सवाल उठता है कि अगर लापरवाही या गड़बड़ी विभाग के द्वारा हुआ है तो उसे ठीक करने में देरी क्यों हो रही है ।
क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी
पूर्वांचल विद्युत निगम के जन सूचना अधिकारी इं. जीवन प्रकाश ने बताया कि ऐसा होना नहीं चाहिए था। जिस उपभोक्ता के यहां यह मीटर लगा है वो एक नेट मीटर है क्योंकि उपभोक्ता के यहां एक सोलर प्लांट लगा हुआ है। ऐसे जगहों पर अलग तरह का मीटर लगाया जाता है। आम उपभोक्ताओं के यहां मीटर रीडिंग करने वाली मशीन ऐसे सोलर प्लांट वाले मीटर की रीडिंग नहीं कर पाती है, जिसके वजह से मीटर गलत रीड हो गया। यह एक टेक्निकल भूल है जिसे जल्द से जल्द सही करने का प्रयास किया जा रहा है।
