बलिया। यूपी के बलिया में एक अस्पताल ऐसा भी है। जिसका हाल जानकर आप चौंक जाएंगे। इस अस्पताल में भर्ती हो रहे मरीजों को अपने लिए बेड से लेकर पंखाऔर खाने पीने की व्यवस्था खुद करनी होती हैं।
आलम यह है कि सरकार स्वास्थ्य को लेकर काफी प्रयासरत है, लेकिन उसके विपरीत जनता को उतना ही दुर्व्यवस्था का शिकार होना पड़ रहा है। ये हाल बलिया के जिला अस्पताल का है। जहां मरीज इस उमस भरी गर्मी में पंखे को भी मोहताज हैं। कुछ पंखे चलते हैं तो कुछ नहीं चलते, जिसकी वजह से मरीज घर से पंखे ले आते हैं। बेड है तो गद्दे नहीं, गद्दे हैं तो चादर नहीं। बड़ी मुश्किलों से यदि बेड मिल भी गया तो उसकी चादरें नहीं बदली जाती।
जब जिला अस्पताल का हाल जानने के लिए एडीएम और भाजपा जिलाध्यक्ष विनोद शंकर दुबे ने वहां औचक निरीक्षण किया तो उन्हें बहुत सी खामियां मिली। जिलाध्यक्ष तब चौंक गए जब वे वार्डों में मरीजों का हाल जानने पहुंचे और उन्हीं के सामने वार्ड ब्वॉय चादर बदलने लगा।
भाजपा जिलाध्यक्ष विनोद शंकर दूबे का कहना है कि लगभग 56 पंखों के मरम्मत के लिए 46 हजार रुपये दिए हैं और एक भी पंखा सही नहीं है। इतने में तो नए पंखे लग जाते। वहीं उन्होंने कहा कि मरीजों को दूध हफ्ते में एक बार दिया जाता है। दवाइयां बाहर की लिखी जा रही हैं, जिसकी सूचना मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को दी जाएगी।
जब सीएमओ पीके मिश्रा से बाहर की लिखी जा रही दवाईयों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सारी चीजें लिख ली गई है। इसके संबध में डाक्टर से भी बात की गई है।
सीएमओ साहब की बातों को माने तो जांच की जाएगी, लेकिन यह भी किसी से छुपा नहीं है कि जांच का आश्वासन देने के बाद भी नतीजा केवल सिफर ही निकलता है। यह हाल सिर्फ बलिया का ही नहीं यूपी के लगभग सभी जिला अस्पतालों का है। जो किसी से छुपा नहीं है। कहीं अस्पताल है तो डाक्टर नदारद, कहीं डाक्टर है तो अस्पताल में व्यवस्था नहीं।
