गाजीपुर। योगी सरकार यूपी को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए कई योजना चला रही है, लेकिन वह योजना प्रभावी नहीं हो पा रही हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह भ्रष्टाचार है। मामला 2 कुपोषित बच्चों का है, जब उनके मां बाप उन्हें इलाज के लिए खुद जिला अस्पताल लेकर आए तो यह बात खुलकर सामने आयी।
परिजनों की अगर मानें तो सुविधा शुल्क न देने पर आशा ने उनकी कोई मदद नहीं की। आंख से देख न सकने के बावजूद कुपोषित बच्चों के पिता श्यामनारायण बच्चों को साथ लेकर इमरजेंसी और एनआरसी घंटों चक्कर काटता रहा। मीडिया में मामला आने के बाद बच्चों को एनआरसी में एडमिट कराया गया।
बता दें कि पोषण मिशन के तहत प्रति माह आईसीडीएस विभाग द्वारा गांवों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा कई योजनाएं चलाई जाता है। इसमें कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उन्हें स्वस्थ बनने के लिए पोषाहार का वितरण किया जाता है, लेकिन सभी योजनाएं कागजों में चलती दिख रही है। सरकार द्वारा दी जा रही इन योजनाओं के बदले ग़रीब अभिभावकों से पैसे ऐंठे जा रहे हैं। न देने पर कोई जानकारी देना तो दूर सुविधा भी नहीं दी जा रही है।
गांवों से कुपोषित बच्चों को एनआरसी केंद्र लाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकत्रियों, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की है। ताकि बच्चों को जिला अस्पताल लाकर डॉक्टर की सलाह से चेकअप करा उचित उपचार उपलब्ध कराया जा सके। वहीं अस्पताल लाए गए दोनों कुपोषित बच्चों के पिता ने बताया कि आशा द्वारा 300 रुपये की मांग की गई है। इस मामले में सीएमओ डॉक्टर जीसी मौर्य ने बताया कि शिकायत के आधार पर आशा कर्मियों की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि कुपोषित बच्चों और मां को पोषित करने के लिए सरकार के द्वारा कई योजना चलाई जा रही है। करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया जा रहा है, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात देखने को मिल रहा है।
