रिपोर्ट- मोहम्मद अफजल
चंदौली। नगर के प्राचीन माता काली मंदिर से देर रात मां काली की झांकी निकाली गई। इस दौरान बच्चे सिर पर मुकुट, कवच, कुंडल पहने हुए थे। साथ ही हाथ में खंजर, खप्पर भी लिए हुए थे, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त माता के जयकारे के साथ नाचते, गाते, हुए चल रहे थे। गौरतलब है कि मां काली का मंदिर जीटी रोड पर स्थित है। जहां पर काली पूजा सन् 1960 से मनाई जा रही है। ऐसा माना जाता है कि मां अपने मंदिर से निकलकर गल्ला मंडी स्थित मां दुर्गा मंदिर गई, वहां पर माता दुर्गा से नगर के लोगों के लिए सुख, समृद्धि का आशीर्वाद लिया और वापस अपने मंदिर पर आकर विराजमान हो गई।
काली पूजा के दौरान सैकड़ों लोगों ने हाथ में तलवार ले रखी थी। साथ ही श्रद्धालुओं ने माता के जयकारे के साथ ही तलवार बाजी का भी प्रदर्शन किया। स्थानीय लोगों की माने तो यह 200 वर्ष से अधिक पुरानी परंपरा है, जिसके तहत प्राचीन काली मंदिर में विराजमान माता की प्रत्येक वर्ष नवरात्रि में लाग निकाले जाते हैं।
बता दें कि काली पूजा बगांल की एक प्रचलित हिंदू पर्व है। ये पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। उसी दिन पूरे भारत में दीपावली का पर्व मनाया जाता है और लक्ष्मी पूजा विधि विधान से की जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां काली 64 हजार योगिनियों के साथ प्रकट हुई थीं।
