ब्यूरो डेस्क। होलाष्टक तीन मार्च मंगलवार से शुरू हो रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक पर कोई भी शुभ काम करने की मनाही है। कहते हैं कि इस दौरान नकरात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक होता है, इसलिए होलिका दहन किया जाता है। विशेषकर गाय के गोबर से निर्मित शुद्ध कंडों से होली का दहन किया जाए तो सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया जा सकता है। होलाष्टक में शुभ कामों पर रोक होती है।
होलाष्टक होली से पहले के आठ दिनों को कहा जाता है। इस वर्ष होलाष्टक तीन मार्च से प्रारंभ हो रहा है, जो नौ मार्च यानी होलिका दहन तक रहेगा। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक होलाष्टक माना जाता है। नौ मार्च को होलिका दहन के बाद अगले दिन 10 मार्च को रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जाएगा।
होलाष्टक के आठ दिनों में मांगलिक कार्यों को करना निषेध होता है। इस दौरान इंसान को अधिक से अधिक भगवत भजन, जप, तप, स्वाध्याय व वैदिक अनुष्ठान करना चाहिए, ताकि उसके जीवन में आने वाला हर कष्ट दूर हो सके। यदि शरीर में कोई असाध्य रोग हो जिसका उपचार के बाद भी लाभ नहीं हो रहा हो तो रोगी भगवान शिव का पूजन करें और साथ ही ब्राह्मण द्वारा महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान प्रारम्भ करवाएं।लड्डू गोपाल का पूजन कर संतान गोपाल मंत्र का जाप या गोपाल सहस्त्र नाम पाठ करवा कर अंत में शुद्ध घी व मिश्री से हवन करें तो शीघ्र संतान प्राप्ति होती है।
इस दौरान किसी भी काम में विजय प्राप्ति के लिए-आदित्यहृदय स्त्रोत, सुंदरकांड का पाठ या बगलामुखी मंत्र का जाप करना अति लाभकारी है। साथ ही नीचे दिए मंत्र को करने सेआपको लाभ मिलना तय है।
मंत्र- ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:।।
