वाराणसी। कोरोना के चलते पूरा देश इन दिनों लॉकडाउन है। इस वैश्विक महामारी के जंग में 24 घंटे अपनी ड्यूटी निभा रहे पुलिस, प्रशासन और धरती पर भगवान का दूसरा रूप कहे जाने वाले डॉक्टर्स हैं।जिनको कोरोना योद्धा का दर्जा देकर लोग सम्मानित कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ एक डॉक्टर ऐसे भी हैं जो इस वैश्विक महामारी के दौर में इलाज के नाम पर मरीजों को लूट रहे हैं। इनका ये रूप कहीं न कहीं मानवता को शर्मसार करता नजर आ रहा है। हम आपको आज ऐसे ही एक अस्पताल बारे में बताने जा रहे हैं जहां मरीजों को लूटने में कोई रियायत नहीं बरती जा रही है। वहीं शहर में ऐसे अस्पताल और डॉक्टर मौजूद हैं जो संकट की इस घडी में भी अपनी जेब भरने का काम कर रहे हैं। पढ़िए ये रिपोर्ट …
कहते हैं भगवान के बाद अगर धरती पर कोई भगवान है तो वह डॉक्टर हैं, जब यही डॉक्टर सेवाभाव की जगह पैसे कमाने पर उतारू हो जाते हैं तब उनका डरावना चेहरा दिखाई देने लगता है। बीमारी से पीड़ित लोगों की मज़बूरी इतनी ज्यादा उस वक़्त होती है कि डॉक्टर जैसा कहता है परिजन वैसा करने के लिए तैयार हो जाते हैं… जी हां आज हम आपको एक ऐसे ही अस्पताल के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने आप में जाना माना अस्पताल है। महमूरगंज स्थित फ्रेक्चर क्लिनिक इन दिनों इमरजेंसी के नाम पर मरीजों से मनमाना फीस वसूल रहे हैं। इमरजेंसी फीस के तौर पर 1000 रूपये हर आने वाले मरीज से लेते हैं। ऐसे ही मरीजों से बात करके हमने पता लगाने की कोशिश की तो क्या कुछ सामने आया आप भी जानिए।
कुहू (काल्पनिक ) नाम की मरीज 24 मार्च को उस अस्पताल में अपनी उंगली के फ्रेक्चर को दिखाने जाती है, जहां उससे 500 फीस एमरजेंसी के नाम पर लिया जाता है, और वाटरप्रूफ प्लास्टर के लिए 4850 रूपये लिया जाता है और उसको डॉ. अभिनव अग्रवाल 21 दिन के लिए प्लास्टर लगाते हैं और 21 दिन बाद बुलाते हैं।
वहीं जब कुहू 21 दिन बाद 15 अप्रैल को अस्पताल प्लास्टर कटवाने के लिए पहुंचती है तो उससे दुबारा 1000 रुपए एमरजेंसी के नाम पर रिसेप्शन पर जमा करने के लिए बोला जाता है। जब कुहू उनसे पूछती है 1000 रूपये किस बात के लिए तो रिसेप्शन पर बैठी ये महिला कहती है कि लॉकडाउन में सिर्फ इमरजेंसी सेवा दी जा रही है, उसी बाबत इतनी फीस ली जा रही है। वहीं जब कुहू उस महिला को बोलती है कि 24 मार्च को जब मैं आई थी तब भी लॉकडाउन था तब तो आपने 500 फीस इमरजेंसी का लिया था। उस पर वो रिसेप्शन पर बैठी महिला कहती है कि 1 अप्रैल से फीस बढ़ा दी गयी है। तो देखा आपने 21 दिनों के भीतर डॉक्टर ने ठीक दुगना फीस बढ़ा दिया। ऐसे ही कई मरीज रोजाना इस अस्पताल में आते हैं और अस्पताल द्वारा निर्धारित फीस का मज़बूरी में भुगतान कर अपना इलाज करते हैं।
इतना ही नहीं डॉक्टर प्रोपोगेंडा बेस सस्ती दवाइयों को लिखकर उसपर भी 40 से 50 % तक कमीशन लेते हैं। जबकि ब्रांडेड कंपनियों की बनी दवा खाकर मरीज को जल्दी आराम मिल सकता है। इसके अतिरिक्त अस्पताल में ही पैथोलॉजी और एक्सरे भी किया जाता है। जिसपर भी डॉक्टर को अच्छा खासा कमीशन मिलता है। इन्सानियत को दरकिनार करते हुए इस अस्पताल द्वारा उंगली में हुए फ्रेक्चर का साधारण प्लास्टर करने का चार्ज 4800 रूपये वसूला गया। इस बात की जानकारी जब हमें मिली तो हमने कई और जगह तफ्तीश करवाया तो पता चला इस तरह के प्लास्टर का चार्ज 1200 या 1500 हो सकता है।
वहीं पूरे मामले की पड़ताल और साक्ष्य जुटा लेने के बाद जब हमने इस बाबत मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बी बी सिंह से बात किया तो उनका स्पष्ट कहना था कि सरकार के गाइड लाइन के अनुसार निजी नर्सिंग होम और प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टरों को यह निर्देशित किया गया है कि वह अपनी नार्मल फीस लेकर इमरजेंसी ओपीडी चला सकते हैं। सीएमओ ने कहा कि जो भी डॉक्टर या नर्सिंग होम सरकार की गाइड लाइन के विपरीत काम करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वैश्विक आपदा के इस घड़ी में जहां डॉक्टरों को भगवान और देवदूत के रूप में देखा और माना जा रहा है, वहीं कुछ एक डॉक्टर अपने इंसानियत को ताक पर रखते हुए डॉक्टर /भगवान/देवदूत जैसे शब्द को कलंकित कर रहे हैं।
