ब्यूरो डेस्क। जानलेवा कोरोना वायरस जिसके कहर से पूरी दुनिया में त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई हैं। ऐसे में इसके संक्रमण से तमाम देशो को जान और माल दोनों के बहुतायत मात्रा में नुकसान होने की आशंका बनी हुई है, जिसकी पुष्टि दुनियाभर में अब तक होने वाले कोरोना पीड़ितों की संख्या को देख कर किया जा सकता हैं। बताते चले कि अब तक कोरोना पीड़ितों की संख्या 2409785 पहुंच गयी हैं। अब तो इसकी चपेट में मासूम बच्चे भी आने लगे हैं। अभी तक कोरोना वायरस (COVID-19) की न तो कोई दवा मिल पायी है और न वैक्सीन। वहीं समय -समय पर अब काफी देश इसकी वैक्सीन बनाने का दावा कर रहीं हैं, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और भारत समेत और भी कई देश आते हैं। ऐसे में देखा जाये तो लगभग सभी देश इस समय कोरोना की वैक्सीन पर तेजी से काम कर रहे हैं। इस बीच ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीनोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर ने कोरोना का वैक्सीन सितंबर तक विकसित करने का दावा किया है।
गौरतलब हैं कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने दावा किया हैं कि वह कोरोना जैसी महामारी का रूप लेने वाली एक बीमारी पर पहले से ही काम कर रही थी , जिसे उन्होंने ‘एक्स’ नाम दिया गया था। उन्होंने आगे बताया कि इस महामारी से लड़ने के लिए हम सभी को योजना बनाकर काम करने की जरूरत हैं। आपको बतादें कि अब तक ChAdOx1 तकनीक के साथ इसके 12 टेस्ट किए जा चुके हैं। जिसमें एक डोज से ही इम्यून को लेकर बेहतर परिणाम मिले हैं, जबकि आरएनए और डीएनए तकनीक से दो या दो से अधिक डोज की जरूरत होती है। ऐसे में ब्रिटेन में कोरोनावायरस वैक्सीन के लिए 21 नए रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू कर दिए गए हैं, तो वहीं इसके लिए ब्रिटेन की सरकार ने इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए 1.4 करोड़ पाउंड की राशि मुहैया करा दी है। आपको जानकर ख़ुशी होगी कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में 10 लाख वैक्सीन की डोज बनाने की तैयारी चल रही है।
ऐसे में सारा गिल्बर्ट का कहना है कि इसका क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिया गया है। अगले 15 दिनों के अंदर इस वैक्सीन की टेस्टिंग अब इंसानों पर की जाएगी। इस वैक्सीन की सफलता को लेकर हमारी टीम 80 फीसदी आश्वस्त है,साथ ही यह भी कहा की अगर सब कुछ सही रहा तो इसी साल के सितंबर तक इसकी एक मिलियन डोज उपलब्ध करा दी जाएंगी। बता दें कि मानव इस्तेमाल से पहले वैक्सीन का प्री क्लीनिकल ट्रायल जानवरों पर होता है। इससे पता चलता है कि इंसानों में इसका इस्तेमाल सुरक्षित होगा या नहीं। जानवरों में इस टेस्ट को करने में दो साल तक लग जाते हैं, लेकिन वैश्विक महामारी को देखते हुए इस ट्रायल को केवल दो महीने में ही पूरा कर लिया गया है।
गौरतलब है कि ब्रिटेन के शाही परिवार के प्रिंस चार्ल्स और प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी इस वायरस के शिकार हो चुके हैं। जॉनसन की हालत खराब होने पर उन्हें आईसीयू में शिफ्ट करना पड़ा था। हालांकि, अभी उनकी तबीयत में सुधार है। वहीं प्रिंस चार्ल्स इससे संक्रमण मुक्त हो चुके हैं।
ऐसे में हम अगर भारत की बात करे तो कोरोना की वैक्सीन को लेकर भारत में भी तेजी से काम चल रहा हैं। बता दें कि हैदराबाद की वैक्सीन कंपनी भारत बायोटेक अगले चार महीने में विकसित की गई वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू कर देगी। अभी इसका एनिमल ट्रायल चल रहा है। 2020 खत्म होने से पहले यह टीका इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो सकता है। इसी तरह अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया भी इस दौड़ में लगे हुए हैं। ऐसे में अब देखना यह हैं कि कौन सा देश बाजी मारता हैं और किसके सिर पर जीत का सेहरा सजता हैं।
