रिपोर्ट– सौम्या
वाराणसी। कोरोना का कहर जारी है, वहीं प्रशासन भी पूरी मुस्तैदी से इस महामारी से निजात पाने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटा हुआ है। इन सब के बावजूद कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अभी तक कोरोना की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं और सड़कों पर बेवजह निकल रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं। इन दिनों सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाने का सबसे बड़ा नजारा बैंकों के बाहर आपको आसानी से देखने को मिल जायेगा। बावजूद इसके बैंक कर्मचारी हर संभव अपने तरफ से कोशिश कर रहे हैं कि हर हाल में सभी सुरक्षित रहें।
इसी कड़ी में हमारी रिपोर्टर ने यूनियन बैंक के मैनेजर अभिषेक से बात की। इस दौरान अभिषेक ने बताया कि वो अपने लेबल पर किस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही बाकी बातों का बारीकी से ध्यान रख रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने बताया कि बैंक के बाहर भारी संख्या में लोगों की भीड़ बैंक खुलने के पहले से ही जुटनी शुरू हो जाती है। इसके लिए बकायदे लोगों को कतारबद्ध करने की कोशिश करते हैं इसमें दो सुरक्षाकर्मी लगे हुए हैं। वहीं बैंकों में एकबार में सिर्फ तीन लोगों को ही अंदर आने की छूट है। अंदर आने के बाद गेट पर ही बैंक के गार्ड लोगों के हाथों को सेनेटाइज्ड करने के बाद बैंकों में में बने सुरक्षा घेरे में खड़े होने को बोलते है और इसी क्रम में ये पूरी प्रक्रिया सुबह 10 से शाम 5 बजे तक चलती है।
वहीं जब इस बाबत मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि बड़े-बड़े प्रतिष्ठान, बैंक, कार्यालय आदि अपने द्वारा ही कोरोना को लेकर एहतियात बरत रहे हैं और अपने तरफ से व्यवस्था किये हुए हैं।
मगर सवाल ये खड़ा होता है कि क्या सुरक्षा की दृष्टि से इतना एहतियात काफी है। क्यूंकि अब तक शहर में जितने हॉटस्पॉट बनाये गए हैं वहां तो स्कैनिंग सभी लोगों की कराई गयी है, लेकिन शहर में ऐसे बहुत एरिया है जहां अभी तक स्कैनिंग नहीं हुई है और उन एरिया से निकले लोग बैंकों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग को ताक पर रखकर कहीं ना कहीं अपने साथ-साथ वहां के लोगों को भी खतरे में डालते नजर आ रहे हैं। जिला प्रशासन को चाहिए की अगर संभव हो तो बैंकों के पास कुछ ऐसी व्यवस्था करे कि कोरोना के खतरे से बचाव हो सके, क्योंकि सावधानी ही सुरक्षा है।
