गाजीपुर। एक तरफ जहां पूरा देश बाढ़ जैसी आपदा से परेशान हैं। वही गाजीपुर के हरी मिर्च का उत्पादन करने वाले किसान बिजली, पानी और महंगी खाद्य से परेशान है। परेशानियों का आलम यह है कि उन्हें कोसों दूर से ठेला, कावड़ से पैदल पानी लाना पड़ता है, जिससे कि उनके समय की काफी बर्बादी होती है। साथ ही साथ मेहनत भी काफी लगती है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने अपने कार्यकाल में मिर्च के उत्पादन को देखते हुए मिर्ची को यूएई भेजना शुरु किया था, जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद की जा सकें। लेकिन जब किसानों को मूल भूत सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं हो पाएंगी तो मिर्चे को यूएई भेजना तो दूर है दूसरे प्रदेश में भी भेजना मुश्किल है।
किसान ललन पांण्डेय ने बताया कि मिर्चा की खेती इतना आसान नहीं है। इसमें बहुत सारी कठिनाइयां आती है। मिर्च पर दवा का छिड़काव करते समय किसानों के मूर्छित होने और जान जाने का खतरा भी बना रहता है।
वही रामाशंकर राय ने बताया कि जब भी लाइट आती है। ट्यूबेल से पानी चालू होता है तो किसानों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि किसी के खेत में पानी पर्याप्त नहीं पहुंच पाता। तब तक लाइट चली जाती है। डीजल से पानी चलवाना काफी महंगा पड़ता है। जबकि सरिता देवी ने बताया कि उनके पास खेत नहीं है। वह खेतिहर से एक साल के लिए 18000 रुपए बीघा का लेती है और खेती करती है। खेती में बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
